उम्र का सफर।
मन में कितनी ख्वाहिशें लिए मैं पलता रहा।।
इक उम्र की तलाश में, इक उम्र गुजारी मैंने
उम्र की हसरत लिए, उम्र भर चलता रहा।।
ना थी कोई भीड़ और ना कोई था कारवाँ
मंजिलों की होड़ में खुद से ही मिलता रहा।।
उम्र की तलाश में ज़ख्म जितने भी मिले
जख्म के उस दर्द को उम्र से सिलता रहा।।
अब कोई शिकवा नहीं और ना कोई शिकायत
उम्र जीने के लिए मैं उम्र भर चलता रहा।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
09फरवरी, 2021