प्रणय बिम्ब के सुंदर घेरे।

प्रणय बिम्ब के सुंदर घेरे।  

भूल गए या याद अभी है
वो अनुरागी शीतल फेरे
भूल गए या याद अभी है
प्रणय बिम्ब के सुंदर घेरे।।

सूनी पलकों के आँगन में
सपनों का संचार किया
सूने अंतस के दामन में
प्रीत-प्रेम व्यवहार किया।

हिय मकरंद सुमन महके
नैनों में पावस के डेरे।
भूल गए या याद अभी है
प्रणय बिम्ब के सुंदर घेरे।।

प्रेम हमारा पावन ऋतु सा
महकी जिससे क्यारी क्यारी
त्याग समर्पण पुण्य भाव से
प्रतिपल पुलकित फुलवारी।

उर के हर्षित स्पंदन और
नैनों के अनुरंजित डोरे।
भूल गए या याद अभी है
प्रणय बिम्ब के सुंदर घेरे।।

स्मृतियों के स्वप्न सुनहरे
जीवन में मधुरस भरते
साथ तुम्हारे बीते जो पल
अब तक हैं आनंदित करते।

सपनों की सुंदर रेखाएं
औ उन यादों के फेरे।
भूल गए या याद अभी है
प्रणय बिम्ब के सुंदर घेरे।।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
      हैदराबाद
      22दिसंबर, 2020



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