नवगीत सजायें।
गीत प्रणय के फिर से गायें।।
फिर ना हों वो सारी बातें
बिखरे दिन औ सुनी रातें
फिर से दोनों साथ चलें
फिर इक दूजे में खो जायें।
आओ हम तुम फिर मिल जायें
गीत प्रणय के फिर से गायें।।
उर की अभिलाषाएं संचित
भाव रहे ना कोई कुंठित
फिर पलकों के छाँव तले
वही नेह के दीप जलाएँ।।
आओ हम तुम फिर मिल जायें
गीत प्रणय के फिर से गायें।।
खोल हृदय के बंद द्वार को
बीती सारी बात भुलाएं
मोह बढ़े सम्मान बढ़े औ
फिर से हम नवगीत सजायें।
आओ हम तुम फिर मिल जायें
गीत प्रणय के फिर से गायें।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
31दिसंबर, 2020
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