सफल साधना।

सफल साधना।   

घना अँधेरा दिल में जब तक
उगता सूरज क्या करता
चाहे जितनी किरण बिखेरे
कुहरा धीरे ही हरता।

मन में जैसा भाव बने है
वैसा ही फल मिलता है
शूल बिखेरे पथ में दूजे
अपना पथ भी छलता है।

कोरी कोरी बातों से
बदलाव नहीं है आ पाता
तपे आग में सोना जब ही
सारे जग को तब है भाता।

प्रेम भावना त्याग समर्पण
जीवन की मौलिक पूंजी हैं
इनमें ही संस्कार पले हैं
यही सत्कारों की कुंजी हैं।

शुद्ध भाव जब मन में होगा
कुशल आराधना हो पाएगी
जीवन को सम्मान मिलेगा
सफल साधना हो पाएगी।।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
      हैदराबाद
      01दिसंबर, 2020




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