थोड़ा रूमानी हो जाएं।
चलो चंद बिखरी रागनियों से दिल को बहलाया जाए।
चलो थोड़ा रूमानी हो जाया जाए।।
कब तक खामोशियों के दामन में सिर रखकर के रहोगे
चलो फिर से किसी की सुनें, किसी को अपनी सुनाया जाए।
चलो थोड़ा रूमानी हो जाया जाए।।
कब तक मन के दरवाजों में भावों को बंधक रखोगे
अंतर्मन के एहसासों से कुछ भाव जगाया जाए।
चलो थोड़ा रूमानी हो जाया जाए।।
बदल जाती है सारी कायनात इक बस मुस्कुराने से
चलो किसी के दिल मे बसकर फिर गुदगुदाया जाए।
चलो थोड़ा रूमानी हो जाया जाए।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
20जनवरी, 2021
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