गीत सुनाने आ जाना।
मेरे इस सूने आँगन में
दीप जलाने आ जाना
आज उदासी गीत बनी है
गीत सुनाने आ जाना।।
सदियों का जीवन हमने
छोटे पल में सौंप दिया
जो भी गीत बुने मैंने
तेरे पग में सौंप दिया।
मेरे इन गीतों को अपने
अधरों से सहला जाना।
आज उदासी गीत बनी है
गीत सुनाने आ जाना।।
मैंने जो भी गीत लिखे
गीत अधूरा ना रह जाये
और प्रीत के आँगन में
प्रीत अधूरी न रह जाये।
प्रीत भरे मेरे इस मन को
हौले से सहला जाना।
आज उदासी गीत बनी है
गीत सुनाने आ जाना।।
जीवन के एकाकी पथ पर
मैंने इक दीप जलाया है
तेरी उम्मीदों में मैंने
अपनी उम्मीद मिलाया है।
मेरी उम्मीदों को तुम भी
राह नई दिखला जाना।
आज उदासी गीत बनी है
गीत सुनाने आ जाना।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
28जनवरी, 2021
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें