पथिक सँभल कर चलना तुम।
पथिक सँभल कर चलना तुम
पथ में अगणित झूठ मिलेंगे
जरा सँभल कर मिलना तुम।
इस पथ पर तुमसे पहले
कितनों ने चल कर देखा है
पग पग कितने शूल चुभे पर
पीछे मुड़ कर ना देखा है।
इस पथ पर चलने से पहले
थोड़ा सोच समझना तुम।
गर चल रहे हो सत्य पथ पर
पथिक सँभल कर चलना तुम।।
रिश्तों और मर्यादाओं के
अनगिन प्रश्न तुम्हें मिलेंगे
बदल रहे इन परिवेशों में
तेरे बन कर तुझे छलेंगे।
प्रश्नों में घिरने से पहले
फिर से जरा समझना तुम।
गर चल रहे हो सत्य पथ पर
पथिक सँभल कर चलना तुम।।
संवादों औ परिवादों में
अंतर आज समझना होगा
सत्य मार्ग चलने से पहले
तुमको जरा सँभलना होगा।
सत्य झूठ की परिभाषा को
फिर से आज परखना तुम।
गर चल रहे हो सत्य पथ पर
पथिक सँभल कर चलना तुम।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
29जनवरी, 2021
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें