तुम आये जीवन में मेरे।
तुम आये पर्याय मिला।
और भटकते भावों को
इक नूतन अध्याय मिला।
मुक्त विहग पंछी था मैं तो
तुम आये आकाश मिला
शीतल छाया मिली गगन में
जीवन को विश्वास मिला।
शून्य हृदय में उल्लास जगा
खुशियों का अध्याय मिला।
लक्ष्यहीन जीवन था मेरा
तुम आये पर्याय मिला।।
उर से उर की बँधी डोर जब
जीवन को एहसास मिला
पावस के प्यासे पपिहे को
बूंदों का मधुमास मिला।
पंख लगे भावों को मेरे
शब्दों को अध्याय मिला।
लक्ष्यहीन जीवन था मेरा
तुम आये पर्याय मिला।।
तेरे अधरों के थिरकन से
जीवन ये संगीत हुआ
तेरे उर के स्पंदन से
पूर्ण मेरा ये गीत हुआ।
प्रेमपुंज जीवन के मेरे
राहों को अध्याय मिला।
लक्ष्यहीन जीवन था मेरा
तुम आये पर्याय मिला।।
✍️©अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
06दिसंबर, 2020
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