शरद ऋतु का आगमन।
मौसम की ये ठंडी रातें
बैठ किनारे हाथ सेंकते
खत्म न होने वाली बातें।
रात ठिठुरती ओढ़ रजाई
बिस्तर पर सिलवट बनती
लिखती नई कहानी मिलकर
खुद कहती औ खुद सुनती।
विहग उनिंदें मूक स्वरों से
यूँ मीठी तान सुनाते हैं
शरद ऋतु के एहसासों को
वो संकेतों में गाते हैं।
ठंड सिमटने लगी रातभर
बैठ अलावों की छाँवों में
इक नूतन आरंभ दिखा है
शरद आगमन से गांवों में।
खेतों की क्यारी में देखो
रात ओस बन बिछी हुई है
बादल के झुरमुट में देखो
रश्मि सूर्य की छिपी हुई है।
नूतन फसलों के अंकुर से
खेतों का रूप सँवरता है
हरियाली की ओढ़े चादर
धरती का रूप सँवरता है।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
24दिसंबर, 2020
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