एक तेरा साथ।
मुझे फिक्र की क्या बात है
क्या करूँगा जानकर मैं
अब दिन है या कि रात है।।
हमने तेरी राहों में ही
स्वप्न फूलों के बुने हैं
और तेरी प्रीत में ही
फूल खुशियों के चुने हैं।
कांटों से फिर कैसा डरना
जब हाथ में ये हाथ है।
क्या करूँगा जानकर मैं
अब दिन है या कि रात है।।
मैंने अपनी जिंदगी अब
नाम तेरे है लिखी
मुझको तेरी राहों में ही
राह अपनी है दिखी।
तेरे चेहरे की चमक से
रोशन मेरी हर रात है।
क्या करूंगा जानकर मैं
अब दिन है या कि रात है।।
मेरे जीवन में तुम आये
हसरतें सब खिल गईं
जिंदगी की सारी खुशियां
चाहतें सब मिल गईं।
दिन रात मेरी है दुआ अब
जन्मों का अपना साथ हो।
क्या करूँगा जानकर मैं
अब दिन है या कि रात है।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
04दिसंबर,2020
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