तुमने सम्मान लिखा।

तुमने सम्मान लिखा।   

मेरे मन मंदिर में तुमने
कैसा सुंदर योग लिखा
मेरे दिल के दरवाजे पर
मधुर प्रेम संयोग लिखा।

नैनों का सम्मान लिखा
युग युग का आह्वान लिखा
सतयुग से लेकर कलयुग तक
प्रेम का नूतन गान लिखा।

सदियों की है प्रीत भावना
मन में अनहद नाद लिखा
ऊष्मित से मेरे जीवन में
मधुर प्रेम अनुवाद लिखा।

श्वेत पृष्ठ सा जीवन मेरा
तुमने ही अनुमान लिखा
भटक रहा था यहाँ अकेला
तुमने ही सम्मान लिखा।।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
      हैदराबाद
      25दिसंबर, 2020

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