जीवन की गाथा।
इस जीवन की गाथाएँ
तुम चाहो तो चिन्हित कर लो
जीवन की दारुण गाथाएँ।
शब्दों का आलिंगन करके
वाक्यों का निर्माण हुआ
पंक्ति पंक्ति उम्मीदें डालीं
तब जाकर परिमाण हुआ।
उम्मीदों के अनुच्छेदों में
छुपी हैं कितने आशाएँ।
तुम चाहो तो चिन्हित कर लो
जीवन की दारुण गाथाएँ।।
सपनों के आँगन में कितनी
इच्छाओं पर दाँव लगाए
सफल हुए कभि हुए विफल
हर मौसम में पर मुस्काये।
हार जीत के उन भावों में
छुपी हैं कितनी कविताएँ।
तुम चाहो तो चिन्हित कर लो
जीवन की दारुण गाथाएँ।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
22जनवरी, 2021
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