इकरार करता हूँ।
दिया है घाव जो तुमने
उसे स्वीकार करता हूँ
कहूँ क्या मैं तुझे अब भी
कि कितना प्यार करता हूँ।
नजर आते हो मुझे हरपल
इन नजारों में फ़िज़ाओं में
मैं कहूँ कैसे यहाँ तुमसे
कि कितना प्यार करता हूँ।
है तुमसे दर्द का रिश्ता
और तुमसे प्यार का रिश्ता
तुम्ही मेरी जरूरत हो
मैं ये इकरार करता हूँ।
है मेरा दर्द ये कैसा
कभी कोई बताएगा
कि पकड़े नब्ज वो मेरी
सुकून इस दिल को आएगा।
न जाने ठोकरें कितनी
मिली मुझको जमाने में
मगर मैं अब भि कहता हूँ
मैं तुमसे प्यार करता हूँ।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
17जनवरी,2021
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