हम आहों में भी गाते हैं।

आ अब लौट चलें।

पुरुषार्थ अनुसरण करो।

मिरे गीत गाये जाएंगे।

दो घड़ी जो ये पल ठहर जाता।

रात की मदहोशियाँ।

नवगीत सजायें।

सँवर गए।

प्रणय गीत गाया न गया।

शायद किस्मत खुल जाए।

जिंदगी मुस्कुराती है।

शतरंज की बिसात।

मध्यमवर्ग की रोटी।

तुमने सम्मान लिखा।

बेफिक्री में जीवन।

शरद ऋतु का आगमन।

कर तू जतन।

प्रणय बिम्ब के सुंदर घेरे।

कब तक बँधता।

तुमसे सब जज्बात हैं।

न्याय का पक्ष।

वो तारण हारे।

अहसासों के आँगन में।

मैं हर पल गंभीर रहा।
बहुत सँभाला मैैंने सबसे

जब देखा मैंने बचपन को।

कबीर फिर से आ जाओ।

बादलों के झुरमुट से।

तुम्हीं कहो कि क्या करता।

ख्वाहिशें उम्र भर छलती रहीं।

बचपन फिर से मिल जाता।

मधुयामिनी।
ये रात जागेगी यहाँ।

तुम आये जीवन में मेरे।

मन मधुप है डोलता।

एक तेरा साथ।

सागर की लहरें।

राह अकेली।

प्रेम ग्रंथ।

सफल साधना।

व्हाट्सएप्प सत्संग।

नन्हीं का प्रश्न।

बात कहने की नहीं है।

सूरज आता होगा।

अनायास।

तन्हाई।

उपहार।

इच्छाओं का आकाश।

ज़िंदगी- दुश्मन या सहेली।

दिल ने कुछ कहा।

खिलता उपवन देखा है।

दिल तुम्हारा हुआ है।

छठी माई के गीत।

तुम्हारी याद।

मैं चमन का फूल हूँ।

सम्मान की खातिर।

जीवन गीत सुनाऊँ।

दीपावली पर मुक्तक।

पंचदीप दीपावली का।

प्रणय निवेदन।

कर्मयोग।

राष्ट्र प्रथम।

मैं चला हूँ।

वेदनाओं का समर।

जीवन जीना सीख लिया।

कविताओं का सम्मान।

मनमीत।

पुकार।

कशमकश।

नदी और समंदर का संवाद।

आफताब हो जाऊं।

नीलकंठ बनना होगा।
नीलकंठ बनना होगा।
बहुत किया मधुपान अभी तक
विष तुझको भी पीना होगा
मुश्किल हो ये जीवन कितना
हंसकर इसको जीना होगा।
माना तुमने रसपान किया
अबतक भरपूर जवानी का
माना तू प्रतीक बना रहा
अगणित प्रेम कहानी का।
मगर नए इन हालातों को
तुझको आज समझना होगा।
बहुत किया मधुपान अभी तक
विष तुझको भी पीना होगा।।
इतना कब आसान रहा है
जीवन का मरम समझ पाना
पाप-पुण्य की सीमाओं को
इतना आसान समझ जाना।
पाप-पुण्य की गहराई को
फिर से आज समझना होगा।
बहुत किया मधुपान अभी तक
विष तुझको भी पीना होगा।।
जीवन भर मधुपान किया पर
स्वाद कभी भी समझ न पाया
विष की एक घूंट पीते ही
मधु का मरम समझ में आया।
जीवन की सब कटुताओं पे
पैबंद लगा सीना होगा।
बहुत किया मधुपान अभी तक
विष तुझको भी पीना होगा।।
जीवन की ये सच्चाई है
विष-मधु दोनों साथ मिले
एक हाथ ने थामा मधु को
औ दूजे में विष लिए चले।
कुछ भी मुश्किल नहीं रहेगा
बस नीलकंठ बनना होगा।
बहुत किया मधुपान अभी तक
विष तुझको भी पीना होगा।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
29अक्टूबर,2020

पाप-पुण्य।

पुकार।

मजदूर की इच्छा।

बदलाव।

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