नीलकंठ बनना होगा।

 नीलकंठ बनना होगा।


बहुत किया मधुपान अभी तक

विष तुझको भी पीना होगा

मुश्किल हो ये जीवन कितना

हंसकर इसको जीना होगा। 


माना तुमने  रसपान किया

अबतक भरपूर जवानी का

माना तू प्रतीक बना रहा 

अगणित प्रेम कहानी का।


मगर नए इन हालातों को

तुझको आज समझना होगा।

बहुत किया मधुपान अभी तक

विष तुझको भी पीना होगा।।


इतना कब आसान रहा है

जीवन का मरम समझ पाना

पाप-पुण्य की सीमाओं को

इतना आसान समझ जाना।


पाप-पुण्य की गहराई को

फिर से आज समझना होगा।

बहुत किया मधुपान अभी तक

विष तुझको भी पीना होगा।।


जीवन भर मधुपान किया पर

स्वाद कभी भी समझ न पाया

विष की एक घूंट पीते ही

मधु का मरम समझ में आया।


जीवन की सब कटुताओं पे

पैबंद लगा सीना होगा।

बहुत किया मधुपान अभी तक

विष तुझको भी पीना होगा।।


जीवन की ये सच्चाई है

विष-मधु दोनों साथ मिले

एक हाथ ने थामा मधु को

औ दूजे में विष लिए चले।


कुछ भी मुश्किल नहीं रहेगा

बस नीलकंठ बनना होगा।

बहुत किया मधुपान अभी तक

विष तुझको भी पीना होगा।।


 ✍️©️अजय कुमार पाण्डेय

       हैदराबाद

       29अक्टूबर,2020

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