पंचदीप दीपावली का।

पंचदीप दीपावली का।   

चलो वहाँ पर दीप जलाएँ
अब भी जहाँ अँधेरा है
दीप ज्ञान का वहाँ जलाएँ
जहाँ अज्ञान का घेरा है।

पहला दीपक राष्ट्रधर्म का
देश प्रेम की बाती हो
दूजा दीपक आर्यधर्म का
खुशबू जिससे आती हो।

तीजा दीपक नैतिकता का
नारी का स्वाभिमान बढ़े
चौथा दीपक संबंधो का
जिससे सबका मान बढ़े।

और पाँचवाँ मानवता का
भारत की पहचान बने
शिक्षा, संस्कृति औ सभ्यता
में भारत कीर्तिवान बने।

बढ़े राष्ट्र की कीर्तिपताका
जन गण मन का मान बढ़े
विश्वपटल के परिदृश्य पर
भारत का सम्मान  बढ़े।

पंचदीपक जो जला तो
मन निखर कर के रहेगा
मुक्त होगी ये धरा फिर
तम बिखर कर के रहेगा।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
       हैदराबाद
      14नवंबर,2020




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