दीपावली पर मुक्तक।
दूर अँधियारा हुआ है, तमस सारे हर रहे
आओ हम सीखें इनसे, उजाले का सलीका
औ जगमगा दें राह जो, अँधेरों में घिर रहे।।
छोड़ कर पथ फूल वाले, कंटक पथ चुन लिए
उमर भर के स्वप्न सारे, धूप में जो बुन लिए
आज उनके त्याग ने ही, सत्य को पहचान दी
आज जिनके प्रेम में दीप लाखों जल रहे।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
14नवंबर, 2020
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