खिलता उपवन देखा है।

   खिलता उपवन देखा है।   

जिसने पग के छालों में भी
हँसता जीवन देखा है
उसने ही अवसादों में भी
खिलता उपवन देखा है।।

उपवन की हरियाली खातिर 
जिसने जितना त्याग किया
उसने ही जीवन को समझा
और उसने अंतर्याग किया।

उपवन की हरियाली में ही
जिसने जीवन देखा है
उसने ही अवसादों में भी
खिलता उपवन देखा है।।

डटे यहाँ, जो मिटे नहीं
थके मगर, वो रुके नहीं
प्रगतिशील पथ के राही
बाधाओं से झुके नहीं।

पथ के कंटक में भी जिसने
फूलों का हँसना देखा है
उसने ही अवसादों में भी
खिलता उपवन देखा है।।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
      हैदराबाद
      20नवंबर, 2020


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