तुम्हारी याद।

           तुम्हारी याद।   

आज तुम्हारी याद हमें फिर देख कहाँ ले आयी है
लुटी जहाँ पर प्यार की कश्ती देख वहाँ ले आयी है।

कितने सावन बीत चुके हैं
अब तक अंबर से रस बरसे
कितनी रैना बीत चुकी है
पर मिलने को जियरा तरसे।

चाह तुम्हारी मेरे दिल को हर पल ही तड़पायी है
आज तुम्हारी याद हमें फिर देख कहां ले आयी है।।

जीवन की परिभाषा तुम थे
और नेह की अभिलाषा  थे
तुमने ही जीना सिखलाया
औ सपनों की आशा तुम थे।

पर ना जाने कौन चाह ने खुशियाँ सब बिखराई है
आज तुम्हारी याद हमें फिर देख कहां ले आयी है।।

जग के सारे तानोँ पर भी
सुन सुन तुम मुस्काती थी
कितनी ही बातें थीं ऐसी
बिन कहे यहाँ कह जाती थी 

तेरी उन सारी बातों में भी कितनी गहराई थी
आज तुम्हारी याद हमें फिर देख कहाँ ले आयी है।।

ऐसा फिर क्या हुआ वहाँ पर
जो तुम हमसे रूठ गए
जनम जनम का साथ हमारा
पल में कैसे छूट गए।

तुम्हें मुबारक खुशियाँ सारी आँख यूँ ही भर आयी है
आज तुम्हारी याद हमें फिर देख कहाँ ले आयी है।।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
      हैदराबाद
     16नवंबर,2020

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