ज़िंदगी- दुश्मन या सहेली।

जिंदगी-दुश्मन या सहेली।  

जिंदगी अजब सी पहेली है
दुश्मन तो कभी सहेली है।।

तमाम उम्र झाँकती रही
ये ख्वाहिशों के दरीचों से
साधारण लगी कभी तो
कभी लगी अलबेली है

जिंदगी अजब सी पहेली है
दुश्मन तो कभी सहेली है।।

कभी तो दर्द का आलम मिला
कभी खुशियों का मलहम मिला
कभी चाहत को मंजिल मिली
कभी जज्बातों की होली है।

जिंदगी अजब सी पहेली है
दुश्मन तो, कभी सहेली है।।

न शिकवा कोइ, शिकायत नहीं
तुझसे मेरी अब अदावत नहीं
इन रास्तों पे मचलती रही
क्या तू भी कहीं अकेली है।

जिंदगी अजब सी पहेली है
दुश्मन तो, कभी सहेली है।।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
      हैदराबाद
      22नवंबर, 2020







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...