दिल ने कुछ कहा।
मैं कहूँ क्या और तुमसे
कल तक तो था बेजुबान
इसे मिली जुबान तुमसे।
तुम मिले जो आज मुझको
जिंदगी मुझको मिली है
आज तेरी चाहतों में
बंदगी मुझको मिली है।
फिर तेरी दीवानगी ने
है कहा कुछ आज मुझसे
मिल गयी जब दास्तान फिर
मैं कहूँ क्या और तुमसे।
कल तक दिल था बेजुबान
इसे मिली जुबान तुमसे।।
तुमसे मिल कर मैंने जाना
कितनी तन्हा जिंदगी थी
रास्ते कितने अकेले और
न कोई पायंदगी थी।
पर तुम्हारे संग ने आज
मुझको मिलाया है मुझी से
तुमने ही तो जिंदगी दी
मैं कहूँ क्या और तुमसे।
कल तक दिल था बेजुबान
इसे मिली जुबान तुमसे।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
20नवंबर, 2020
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