कविताओं का सम्मान।
मैंने अपनी कविताओं में
जीवन का सम्मान किया
सामाजिक मुद्दों पर बोला
समरसता पर मान किया।
कविताएं वो साधन हैं जो
दिल की बातें कहती हैं
मन की सारी पीड़ाओं को
पन्नों पर वो लिखती हैं।
उर में जब भी उठी वेदना
कविताओं ने दिया सहारा
होने लगी जहां सुप्त चेतना
तब गीतों ने दिया सहारा।
जब लोगों ने ताने मारे
कविताएं तारनहार बनीं
छोड़ चले मँझधार में सभी
कविताएं खेवनहार बनीं।
लिए कलम हाथों में मैंने
जब जब दरपन देखा है
मन में नव अहसास जगा है
मरुधर भी खिलते देखा है।
इसके हर बंधों में मैंने
नूतन जीवन पाया है
कदम कदम जो बढ़ीं पंक्तियां
खिलता उपवन पाया है।
जीवन की कविताओं में भी
मैंने कांटों का मान किया
उठी कलम हाथों में जब भी
जीवन का गुणगान किया।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
11नवंबर, 2020
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें