उपहार।

   उपहार।  

मेरे जीवन के बसंत तुम
तुमसे ही त्योहार है
आशाओं के तुम आलिंगन
तुमसे सब श्रृंगार है।

तुम ही जीवन की लतिका के
प्राण वायु संचार हो
मेरे अंतस की वीणा के
मधुर प्रेम झंकार हो।

मैं पुस्तक की एक पंक्ति हूँ
तुम पुस्तक का सार हो
जीवन रूपी इस उपवन का
सर्वोत्तम उपहार हो।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
      हैदराबाद
      24नवंबर, 2020





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...