सूरज आता होगा।
घना भले हो कुहरा कितना
कुछ तो राह दिखाता होगा
देख रहे क्या मौन गगन में
सूरज अब तो आता होगा।।
रात भले थी घनी अँधेरी
कितने ही तूफान लिए
बिखरा डाला कुछ ही पल में
जाने कितने घाव दिए।
घाव लगे जो दिल पे तेरे
मलहम वहाँ लगाता होगा।
देख रहे क्या मौन गगन में
सूरज अब तो आता होगा।।
सच है उनके दरबानों में
सपनों का स्थान नहीं है
और हमारे अरमानों पे
उनका भी अहसान नहीं है।
क्या फिर उनके दरबारों में
कोई शीश झुकाता होगा।
देख रहे क्या मौन गगन में
सूरज अब तो आता होगा।।
अत्याचारों का अंत यहाँ
हर बार बुरा ही होता है
सत्य निखरता है अकसर
झूठ बिखर कर रोता है।
कर विश्वास यहॉं बस खुद पर
लाख भले भरमाता होगा।
देख रहे क्या मौन गगन में
सूरज अब तो आता होगा।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
26नवंबर, 2020
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