कोशिश

कशिश

भूली-बिसरी यादें

मुक्तक

ख्वाहिशें

मुस्कुराहट

अफसोस नहीं

कविता

तुम बिन अब तो ये घर हमको खाली खाली लगता है।

मेहमान

है विनती रघुराई

स्वप्न

पलकों ने सपने छाँटे हैं

भजन

श्री राम स्तुति

मुक्त रचना- जीवन का ग्रंथ

पालकी गीतों की

अय्यारी, अंदाजा

संशय के पल

मुझे पाओगे

प्रीत का नया राग

गजल- लम्हे का दर्द

अहसास
अहसास
इक बार कभी जो वक्त मिले,
बीती पर नजर फिरा लेना।
भूले बिसरे अहसासों को,
बस हौले से सहला लेना।
हैं कहीं सुलगते भाव कभी,
हैं कहीं धड़कती आशाएँ ।
कहीं सुनहरे ख्वाब सुहाने,
कहीं प्रेम की परिभाषाएं।
भावों के सागर में खुद को,
बरबस यूँ ही नहला लेना।
भूले बिसरे अहसासों को,
बस हौले से सहला लेना।
सुख भरे सुनहरे हैं बादल,
विश्वास प्रेम जीवन साथी।
आशाएँ अवलोकन करती,
इच्छाएं सारी मदमाती।
इन इच्छाओं के आँचल में,
मन को यूँ ही बहला लेना।
भूले बिसरे अहसासों को,
बस हौले से सहला लेना।
सृजन युक्त जीवन की राहें,
मंजिल को तकती हैं बाहें।
दूर गगन में ढलता सूरज,
हैं मलय महकती आशाएँ।
आशाओं की बाती लेकर,
फिर से नवदीप जला लेना।
भूले बिसरे अहसासों को,
बस हौले से सहला लेना।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद

ग़ज़ल- तेरे करीब आने से

गजल- दिल के पास

गजल-मुझसे कहते यहाँ

क्यूँ जान न पाया कोई

हर सावन में आ जाती है बुआ घर की ड्योढ़ी तक

मैंने रीत लिखे

मुक्तक, शायरी

खुशियों का प्याला

समर्पण-गीत की पँक्तियाँ

था शायद तुमसे मेल यहीं तक

देश मेरे

ऐसा अपना प्रेम नहीं

गीतों में कहानी

बात अधूरी है

रीत गया शब्दों का घट पर हो न पाई बात

फिर खेल खेला जाएगा

खेल अभी भी जारी है

सारे व्याकरण में है नहीं

दीपक एक जला लेना

यूँ लग रहा उनकी गली का हर किवाड़ा बंद है।

मुक्ति गीत

जीवन का आशय

शहर विकास तो गाँव है गहना।

मेरे स्वर

अधूरे स्वर

अपनी नाव उतारी है

किधर जाऊँगा

बूँदों का मधुमास

नयनों के आलोड़न से

छाँव

ओ री चिरइया

काव्य में नव भाव रच तूलिका ने सम्मान पाया

एक बेरि आ जाइता गाँव

कैसे अलविदा कह दूँ

जाने कैसा है मिलन

मुक्तक

यमुक्त गीत- यादें

गजल- निभाया न गया

चीख

मुक्त गीत- गीत न लिख पाऊँगा

रुक गए जो पंथ में तो ज्ञान का फिर बोध कैसा

कैसे कह दूँ मैं कहो कि आज सब सुलझा हुआ है।

भोर की आस में रात सो ना सकी

तुम आये जीवन आया है

आपन माटी

दोहा

मुक्तक- नई प्रीत मैं लिख दूँ

विदेसिया

विश्वास
विश्वास पलकों के कोरों से ढलके जाने कितने सपन सलोने, लेकिन इक भी बार नयन ने उम्मीदों का साथ न छोड़ा। मेरी क्या हस्ती औरों में जो उनका अनुरंजन...
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गीतों में कहानी साथी गीतों के मधुवन में हमने भी बोये गीत नए, कुछ गीतों में विरह वेदना औ कुछ में लिखी कहानी है। दो चार कहानी नयनों की दो चार ...
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कितना देखा भाला लेकिन कुछ भी जान नहीं पाये। थी पहचानी गलियाँ लेकिन कुछ अनुमान नहीं पाये। पल-पल भेष बदलते देखा क्या जाने क्या अनजाने, अपनी ही...
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मन-उपवन। पुष्पित अधरों के कंपन में मुखरित है प्रिय स्वप्न सुनहरे अंतस के उपवन में गुंजित मोहित मधुमय गान मनहरे।। लुक छिप करती पलकें तेरी न...