मुझे पाओगे
मुड़ के देखोगे तब तुम मुझे पाओगे।
गीत अब भी हृदय में मचलते तो होंगे,
आईना देख अब भी सँवरते तो होंगे।
दो घड़ी रास्तों पे ठहरते तो होंगे,
यादों के बादलों से गुजरते तो होंगे।
बदली यादों की जब भी उमड़ने लगे,
मुड़ के देखोगे तब तुम मुझे पाओगे।
वो क्षितिज पर कहीं गीत की वादियाँ,
खोजती होंगी अधरों की परछाइयाँ।
वो गीत की पालकी को उठाये हुए,
साँझ अब भी खड़ी पथ सजाए हुए।
जब पंक्तियाँ आधरों से उलझने लगे,
मुड़ के देखोगे तब तुम मुझे पाओगे।
उम्र का क्या पता साथ कब छोड़ दे,
दो कदम साथ चलकर कहीं छोड़ दे।
आज जो भाव हैं भाव कल हो न हो,
पास जो आज है पास कल हो न हो।
राह में जब कभी मन भटकने लगे,
मुड़ के देखोगे तब तुम मुझे पाओगे।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
17 सितंबर, 2024
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