मेरे स्वर

मेरे स्वर

मौन अभी मेरे स्वर माना, इक दिन वो भी आयेगा,
होंगे मुखर कभी अधरों पे, जग भी इसको गायेगा।

उम्मीदों का दामन थामे, प्रति दिन पथ पर चलता हूँ,
शूल चुभे कितने ही पग में, हँस कर खुद से मिलता हूँ।
कंटक पथ भी फूल बनेंगे, इक दिन वो भी आयेगा,
आज चला हूँ भले अकेले, इक दिन जग भी आयेगा।

मौन अभी मेरे स्वर माना, इक दिन वो भी आयेगा,
होंगे मुखर कभी अधरों पे, जग भी इसको गायेगा।

जीवन पथ मुश्किल है माना, नामुमकिन कुछ रहा कहाँ,
इस जीवन में संघर्ष न हो, ऐसा पथ कब रहा यहाँ।
उद्द्यम के बल पर सपनों की, गाथा मन लिख पायेगा,
आज उगाता जिसे अकेले, जग उसको उपजायेगा।

मौन अभी मेरे स्वर माना, इक दिन वो भी आयेगा,
होंगे मुखर कभी अधरों पे, जग भी इसको गायेगा।

कदम ताल औरों के नापूं, मुझको ये अधिकार नहीं,
औरों की शर्तों पर गाऊँ, मुझको ये स्वीकार नहीं।
अपने हिस्से के मधुवन में, सावन इक दिन आयेगा,
उम्मीदों की इस लतिका पे, फूल कभी मुस्कायेगा।

मौन अभी मेरे स्वर माना, इक दिन वो भी आयेगा,
होंगे मुखर कभी अधरों पे, जग भी इसको गायेगा।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        16 जुलाई, 2014

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