गीत न लिख पाऊँगा
फिर कभी इस दिल में अपने प्रीत न लिख पाऊँगा।
है तुम्हीं से आस सारी और तुमसे ही शिकायत,
है तुम्हीं से दोस्ती और तुमसे ही अदावत।
बिन तुम्हारे जिंदगी में जीत न लिख पाऊँगा,
तुम जो रूठे शब्द रूठे गीत न लिख पाऊँगा।
साँस तुम धड़कन तुम्हीं हो जिंदगी भी तुम हो मेरी,
भोर की पहली किरण हो बन्दगी भी तुम हो मेरी।
बिन तुम्हारे जिंदगी की रीत न लिख पाऊँगा,
तुम जो रूठे शब्द रूठे गीत न लिख पाऊँगा।
ये जहाँ या वो जहाँ हो तुम पे ही दिल आसना,
इक सिवा तेरे हृदय को और न कुछ कामना।
तुम बिना इस जिंदगी को मीत न लिख पाऊँगा,
तुम जो रूठे शब्द रूठे गीत न लिख पाऊँगा।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
28 मई, 2024
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