निभाया न गया
मुझसे रिश्ता कोई निभाया न गया
उम्र भर दर्द के साये में जीता कैसे
चाह कर दर्द दिल में दबाया न गया
कहने को ही रिश्ता उनसे था अपना
ये भरम भी दिल में बनाया न गया
कैसे दे दूँ मैं दोष लकीरों को यहाँ
आशियाना मुझसे ही बसाया न गया
उनकी नजरों में गिर न जाऊँ फिर से
चाह कर उनको फिर से बुलाया न गया
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
03 जून, 2024
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें