तुम आये जीवन आया है
सपनों की स्नेहिल सी हलचल।
नयनों के भींगे कोरों में,
आये खुशियों के पावन पल।
तप्त हृदय जलती साँसों ने,
पतझड़ में मधुवन पाया है,
तुम आये जीवन आया है।
आहों ने था किया बसेरा,
सब खुशियों से अनजाने थे।
तन्हाई थी यहाँ भीड़ में,
हम अपनों में बेगाने थे।
क्लान्त हृदय ने सूनेपन में,
जीवन का आशय पाया है,
तुम आये जीवन आया है।
मधुर यामिनी ने आँगन में,
अंतस के प्रतिपल ताप भरा।
चन्द्र रश्मियों की हलचल ने,
प्रतिपल बस घाव किया गहरा।
बदला पल घड़ियाँ बदली हैं,
घावों ने मलहम पाया है,
तुम आये जीवन आया है।
मरुधर की तपती राहों को,
शीतल कोई छाया दे दे।
मुरझाई लतिका को जैसे,
कोई नूतन काया दे दे।
मधु मिश्रित सब गीत हृदय के,
संग-संग जो भी गाया है,
तुम आये जीवन आया है।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
17 मई, 2024
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