शहर विकास तो गाँव है गहना।

शहर विकास तो गाँव है गहना

पगडंडी से सड़क का रास्ता,
इक दूजे के मन में बसता।
गली-गली से होती बातें,
तारों के संग कटती रातें।
पुरवइया का घर-घर बहना,
शहर विकास तो गाँव है गहना।

राहों में कदमों की करवट,
नयनों में सपनों की सिलवट।
एक चली तो दूजी चली है,
फूल है एक तो दूजी कली है।
हँसकर इक दूजे से मिलना,
शहर विकास तो गाँव है गहना।

इक सपनों की भूल-भुलैया,
दुजे में पीपल की छइयाँ।
भाग-दौड़ है एक में पल-पल,
दूजे में सपनों की हलचल।
सपनों का शहरों में बसना,
शहर विकास तो गाँव है गहना।

ऐसी जुड़ी राहें जीवन की,
गाँव सुने है शहर के मन की।
तब टूट सकेगी कैसे डोरी,
शहर चले जब गाँव की ओरी।
शहरों के संग गाँव का रहना
शहर विकास तो गाँव है गहना।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
       18 जुलाई, 2024




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