ख्वाहिशें
ठोकरें खाता हूँ गिरता हूँ फिर सँभलता हूँ मैं।
इन अंधेरों का मुझको है अब नहीं खौफ कोई,
रोशनी के लिए हर रोज थोड़ा पिघलता हूँ मैं।
प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...
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