मेहमान

मेहमान

क्या जाने क्या खता थी बदनाम हो गया हूँ।
ऐसा जला हूँ खुद से इल्जाम हो गया हूँ।
न रास अब तो आती है राहतें कोई भी,
घर में अपने अब तो मेहमान हो गया हूँ।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        

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