ऐसे कैसे रहते हो।

आँखों की बातें।

इतिहास बनाने आया हूँ।

इशारा।

जीवन अविरल बहता रहता।

*सफर को कोई नाम दें।*
इस खामोशी को जुबान दें
आओ इसे कुछ आयाम दें
कब तलक यूँ ही चलते रहेंगे
सफ़र को अब कोई नाम दें।।
कब गुजरीं लम्हों में सदियाँ
अभी तलक ये पता ना चला
यूँ तो मिलते रहे हम सदा
खुद से अभी तक ना मैं मिला।
चलो खुद से मिलें दोनों
एक दूजे को कुछ नाम दें।
कब तलक यूँ ही चलते रहेंगे
सफर को अब कोई नाम दें।।
यूँ चले कितनी हसरत लिए
आशाओं के जलाए दिए
कल लिखे थे जो गीत हमने
तिरे होठों ने उनको छुए।
चलो फिर से सारे गीतों को
मिलकर के अपनी जुबान दें।
कब तलक यूँ ही चलते रहेंगे
साफर को अब कोई नाम दें।।
न तेरी ख़ता न मेरी ख़ता
हुआ कुछ मगर किसे है पता
अब भी दिलों में थोड़ी कसक
तुझे ये पता मुझे भी पता।
चलो आज फिर, वहीं पर मिलें
एक दूजे को ईनाम दें।
कब तलक यूँ ही चलते रहेंगे
सफर को अब कोई नाम दें।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
22फरवरी, 2021

सफर को कोई नाम दें।

तुम आज गवाही देना।

गान ऐसा दीजिए।

कर्तव्यों की देहरी।

एक उम्मीद।

कदमों के निशान।

सीमित साधन में सपने।

गीतों में जीवन।

उम्र का सफर।

कह दो तो बतलाऊँ मैं।

शोक क्या करना।

तुमने सुन लिया।

आमंत्रण।

बात अभी भी बाकी है।

मेरे मन की कब समझोगे।

सुलगती आशाएँ।

मैंने जीना सीख लिया।

तेरा प्यार अब दवा हो गया।

यूँ ही धुँआ नहीं होता।

ऐसे भाव सजाना साथी
ऐसे भाव सजाना साथी गीतों की प्रिय मधुशाला से जब प्रेम पियाली छलकाना, दो बूँद अधर को छू जाये ऐसे भाव सजाना साथी। हमने भी कुछ गीत लिखे पर शायद...
-
गीतों में कहानी साथी गीतों के मधुवन में हमने भी बोये गीत नए, कुछ गीतों में विरह वेदना औ कुछ में लिखी कहानी है। दो चार कहानी नयनों की दो चार ...
-
कितना देखा भाला लेकिन कुछ भी जान नहीं पाये। थी पहचानी गलियाँ लेकिन कुछ अनुमान नहीं पाये। पल-पल भेष बदलते देखा क्या जाने क्या अनजाने, अपनी ही...
-
जिंदगी ये छाँव है सुख-दुख हर्ष-शोक सब जिंदगी के पड़ाव हैं धैर्य पूर्व सब सहो तो जिंदगी ये छाँव है दो कदम के रास्ते हैं दो कदम के फासले दो कदम...