आंखों की बातें।
दिल ही में रह जाती हैं
होंठ कहें चाहे ना कुछ भी
आँख मगर कह जाती है।।
कोई कितना दूर रहे पर
यादों में रहता है हरदम
परछाईं बन चलता रहता
साँसों में बसता है हरदम।
आती जाती साँसें हरदम
गीत उसी के गाती हैं।
होंठ कहें चाहे ना कुछ भी
आँख मगर कह जाती है।।
आज वफ़ा की बातें कितने
अरमानों में झलक रहे हैं
और राहतें दिल के कितने
पैमानों में छलक रहे हैं।
अरमानों के पैमाने भी
सपनों में आती जाती हैं।
होंठ कहें चाहे ना कुछ भी
आँख मगर कह जाती है।।
इक थर्राहट होठों पर है
आँखों में भी बेचैनी है
दिल मे दूर किसी कोने पर
शायद अब भी बेचैनी है।
बेचैनी के कितने ही पल
छुप छुप कर बह जाती है।
होंठ कहें चाहे ना कुछ भी
आँख मगर कह जाती है।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
28फरवरी, 2021
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