जिंदगी ये छाँव है
धैर्य पूर्व सब सहो तो जिंदगी ये छाँव है
दो कदम के रास्ते हैं दो कदम के फासले
दो कदम जो बढ़ सको तो जिंदगी ये गाँव है
कट रही है जिंदगी अब जैसी भी अच्छी बुरी
दौर-ए-उम्र में सदा ये जिंदगी चुनाव है
एक मोड़ उलझनें हैं एक मोड़ राहतें
एक मोड़ चल पड़े तो जिंदगी बहाव है
हर किसी की मुट्ठी में है देव उसका आसमां
मन को जो न भा सके तो जिंदगी अभाव है
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
12 नवंबर, 2024
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