प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें
के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें।
एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं,
बात अधरों पे आये तो हम बोल दें।
मन के चौखट पे जब दर्द याचक बने,
मन के चौखट का हर द्वार हम खोल दें।
दिल के हर दर्द को इतना अधिकार दें,
के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें।
मुझमें मेरा न कहने को बाकी रहे,
मैं साँस से आस तक सब समर्पित करूँ।
ऐसे बैठूँ तुम्हारे गगन के तले,
अपना आकार तुम में मैं अर्पित करूँ।
अपने आकार को इतना अधिकार दें,
के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें।
कल खो न जायें कहीं गीत ये पृष्ठ में,
इसे अधरों से छूकर के आवाज दें।
यूँ भाव अमरत्व के गीत में जग उठे,
अपनी साँसों से हर पंक्ति को साज दें।
गीतों की पंक्तियों को यूँ आकार दें,
के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें।
मौन कितना भी हम दोनों रह लें मगर,
ये भावनाएं हृदय की रुकेंगी नहीं।
हम गीत लिखकर हृदय में छुपा लें मगर,
ये नैन के कोर में अब रुकेंगी नहीं।
भावनाओं को हम ऐसी पतवार दें,
के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें।
✍️ अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
15 जून, 2025