राम-नाम सत्य जगत में
ज्ञान ध्यान तप त्याग तपस्या यहि सब है भक्ति का सार।
तन मन धन सब अर्पित प्रभु को क्यूँ हृदय में हाहाकार,
जेहिं तन में आनंद बसत है वहि प्रभु का है अवतार।
राग द्वेष मद लोभ जगत में सब पाप के हैं आधार,
ये सत्य सनातम धर्म मार्ग एक मात्र मोक्ष का द्वार।
रकम जोड़ कर धरम खरीदे और भरे यहाँ भंडार,
तोलहिं नेह तराजू पे रख सब झूठ के शोभाकार।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
03 अगस्त, 2025
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