वादा करो
मैं सौ-सौ जनम राहें तेरी तकूँ,
तुम मिलन का जो मुझसे वादा करो।
नैन की पंखुरी मैं बिछाऊँ सदा।
मैं पलकों से कंटक हटाऊँ सदा।
अश्रु बूँदों से सींचूं मैं ये चरण,
और फिर माथ से मैं लगाऊँ सदा।
मैं सौ-सौ जनम सपने तेरी गुहूँ,
तुम मिलन का जो मुझसे वादा करो।
रात भर सिलवटों में उलझती रहे।
चाँदनी रात करवट बदलती रहे।
चाँद का ये सफर भी अधूरा रहे,
रात रानी भले ही मचलते रहे।
उम्र भर सिलवटों को मनाती रहूँ,
तुम मिलन का जो मुझसे वादा करो।
यूँ प्रतिक्षा में कब तक गुजरती रहूँ।
कुछ कहो मौन कब तक सुलगती रहूँ।
ये उम्र क्या यूँ ही गुजर जायेगी,
कुछ कहो मौन कब तक पिघलती रहूँ।
उम्र भर जो कहो तो सुलगती रहूँ,
तुम छुवन का जो मुझसे वादा करो।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
11 जून, 2025
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