देख कर गीत तुमको मचलने लगे
देख कर गीत तुमको मचलने लगे।
दूर रह ना सके पास आने लगे,
बेसबब गीत दिल गुनगुनाने लगे।
चाह कर दूर मन से नहीं हो सके,
क्या कहें रात भर क्यूँ नहीं सो सके।
जागती रात करवट बदलने लगे,
स्वप्न खुद गीत बनकर मचलने लगे।
दो अलग राह कब तक अकेली चले,
सोचती हर घड़ी अब मिले तब मिले।
मोड़ तक जा कदम खुद ब खुद रुक गये,
देख कर छाँव दिल की वहीं झुक गये।
वो मिलन सोचकर मन सिहरने लगे,
भाव खुद गीत बनकर मचलने लगे।
एक मन को सिवा कुछ नहीं आसरा,
मन नहीं गा सके गीत जब दूसरा।
जब सभी भाव मन के सिमटने लगे,
खुद की आगोश में खुद लिपटने लगे।
सोच कर ये मिलन जब बहकने लगे,
गात खुद गीत बनकर मचलने लगे।
पृष्ठ पर शब्द खुद ही सँवरने लगे,
देख कर गीत तुमको मचलने लगे।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
25 दिसंबर, 2024
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