तब तुम आना पास प्रिये।
जब मन में सुंदर भाव बनें
पुष्प सुगंधित खिल जाएंँ
जब दिल के उस सूनेपन में
निष्कपट ज्योति सी बल जाये
जब प्रेम मधुर हो गीत बने
साजों में रागिनी घुल जाये
जब गीत कभी गाना चाहो
खुद से जब मिलना चाहो
जब भी चाहो मधुमास प्रिये
तब तुम आ जाना पास प्रिये।।
जब याद पुरानी तड़पाये
सिहरन कोई मन छू जाये
जब चले वहाँ पिय पुरवाई
आँचल फिर से ढलका जाये
जब तारों की बारात सजे
मन चाहे गाये गीत नये
जब स्वप्न नया बुनना चाहो
रीत नई गढ़ना चाहो
अरु चाहो जब आकाश प्रिये
तब तुम आ जाना पास प्रिये।।
जब ठंड दुपहरी तक जाये
धूप सुनहरी खिल जाये
जब बारिश का भीगा मौसम
मन भावों को ललचा जाये
जब ऋतुओं के भँवर जाल में फँस
डूब डूब मन उलझाए
जब उलझन से बचना चाहो
खुलकर तुम हँसना चाहो तब
अरु चाहो जब विश्वास प्रिये
तब तुम आ जाना पास प्रिये।।
स्मृतियों का पावन गंगाजल
आँचल अपने भर लेना
एकाकी में घिरो कभी तो
याद मुझे तुम कर लेना
स्मृतियों के उस पुण्य भाव को
पलकों बीच सजा लेना
स्मृतियों से जब मिलना चाहो
खुद से कुछ कहना चाहो
अरु जब चाहो अहसास प्रिये
तब तुम आ जाना पास प्रिये।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
22सितंबर, 2021
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