मैं गीत नया कोई गाउँगा।
जब बूँदें पलकें भर जायेंगीं
हर आहट तुमको तड़पायेगी
जब नजरें खुद ही झुक जायेंगी
जब हिचकी तुमको आएगी
जब खुद से प्रीत छुपाओगी
तब यादों में तेरी आऊँगा
मैं गीत नया कोई गाउँगा।।
जब भौंरे गुन गुन गुन गायेंगे
जब जीवन के राग सुनायेंगे
दूर कली कोई मुस्कायेगी
छुई मुई कोई शरमायेगी
जब गालों पर लाली छाएगी
जब खुद ही खुद से शरमाओगी
मैं तब तुम्हें बुलाने आऊँगा
मैं गीत नया कोई गाउँगा।।
जब सूरज दिन चढ़ जाएगा
जब वक्त नहीं मिल पायेगा
जब स्वेद बूँद माथे से गिरकर
नख से शिख तक नहलायेगा
उँगली में लपेट आँचल अपना
जब कहीं कभी तुम घबराओगी
तब तुमको फुसलाने आऊँगा
मैं गीत नया कोई गाउँगा।।
जब साँझ ढले तुम थक जाओगी
जब चलते चलते रुक जाओगी
जब कभी अकेले में बैठोगी
जब यादों में तुम खो जाओगी
ये सूनापन जब तड़पायेगा
अरु पास नहीं कोई आयेगा
तब तुमको बहलाने आऊँगा
मैं गीत नया कोई गाऊँगा।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
23सितंबर, 2021
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