मैंने रीत लिखे।
शिष्ट सृजन को शब्द चुने तब जाकर के गीत लिखे।।
सूरज से ली तपिश यहाँ पर
चंदा से शीतलता ली है
लिया पवन से मुक्त भाव अरु
तारों से चंचलता ली है।
शब्दों का आलिंगन कर के अपने मन के मीत लिखे
शिष्ट सृजन को शब्द चुने तब जाकर के गीत लिखे।।
लिया पुष्प से खुशबू मैंने
पातों से हरियाली ली है
अवनी से संबल पाया है
अंबर की रखवाली ली है।
पात पात पिय पुष्प चुने तब प्रीत गढ़े नवगीत लिखे
शिष्ट सृजन को शब्द चुने तब जाकर के गीत लिखे।।
लिया प्रखर भावों को जग से
अंतस में प्रिय भाव जगाया
पल पल बीत रहे लम्हों में
जो पाया गीतों में गाया।
जग से लेकर जग को देकर जग की प्रचलित रीत लिखे
शिष्ट सृजन को शब्द चुने तब जाकर के गीत लिखे।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदरबाद
08अगस्त, 2021
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