संकल्प।
चल पड़े दो पग जिधर भी, हैं रास्ते खुलते उधर।।
वट वृक्ष की है आस तो संकल्प भावों में जगा
छाँव भी मिल जाएगी तू दो कदम आगे बढ़ा।।
है वही जीता यहाँ जग जिसने खुद को पा लिया
आँधी में तूफानों में खुद को जो अपना लिया
रास्ते खुद चल पड़े देख कर के उसका हौसला
त्याग, तप, संकल्प जिसने हँस के है अपना लिया।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
07अगस्त, 2021
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