मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ।

मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ।   

मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ
आजादी का पथ खोल रहा हूँ
है ये इतिहास सुनहरा मेरा
मैं चतुरदिषाएँ जोड़ रहा हूँ।।

मैं आजादी का नायक हूँ
मैं राष्ट्र गीत का गायक हूँ
मैं जन जन की विकल भावना
मैं राष्ट्र प्रेम का वाहक हूँ।।
राष्ट्र भावना जनमानस में
सदियों से मैं घोल रहा हूँ
मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ
आजादी का पथ खोल रहा हूँ।।

अंग्रेजों ने खींच लकीरें
भारत लहूलुहान किया था
अपने स्वार्थ सिद्धि की खातिर
जन गण का अपमान किया था
अंग्रेजों के दमन चक्र की
उन पन्नों को खोल रहा हूँ
मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ
आजादी का पथ खोल रहा हूँ।।

लक्ष्मी, तांत्या, मंगल पांडे
नाना कितने वीर चले हैं
लिए मशाल क्रांति की देखो
बन कर के रणवीर चले हैं।।
तन मन धन सब किया समर्पित
उनकी गाथा बोल रहा हूँ
मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ
आजादी का पथ खोल रहा हूँ।।

मैं मुक्ति युद्ध बन पलता हूँ
मैं अंगारों पर चलता हूँ
भारत की मृदु स्मृति बनकर के
मैं जन गण मन में मिलता हूँ।।
वीरों की उस मधुर कल्पना
जज्बातों को बोल रहा हूँ
मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ
आजादी का पथ खोल रहा हूँ।।

मैं चाल चरित्र का द्योतक हूँ
मैं राष्ट्र प्रेम का पोषक हूँ
मैं बलिदानों का मूल मंत्र
मैं उम्मीदों का पोषक हूँ।।
राष्ट्र प्रेम की अलख जगा दे
मैं ऐसा रास्ता खोल रहा हूँ
मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ
आजादी का पथ खोल रहा हूँ।।

अत्याचारों से पीड़ित हो
जनता आवाज उठाई थी
धर्म राष्ट्र का भाव लिए ही
आशा की ज्योति जगाई थी।।
ज्योति जली बरसों पहले जो
मैं उसकी गाथा बोल रहा हूँ
मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ
आजादी का पथ खोल रहा हूँ।।

धर्म जाती मजहब ना कोई
इक सूत्र सब बंधे हुए थे
आजादी का प्रण लिए सभी
संकल्पों में गुंधे हुए थे।।
संकल्पों के भाव सभी वो
जन गण मन में घोल रहा हूँ
मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ
आजादी का पथ खोल रहा हूँ।।

आजादी के दीवानों पर
पग पग पर दमन चलाया था
अरु अंग्रेजी आतंकों ने 
भारत का लहू बहाया था।।
लहू बहे आजादी खातिर
मैं गीतों में बोल रहा हूँ
मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ
आजादी का पथ खोल रहा हूँ।।

एक सूत्र में भारत बांधा
मिलकर कई निशाना साधा
सदियों से खंडित भारत की
आस्थाओं को फिर से बांधा।।
त्याग, समर्पण शौर्य पराक्रम
की गाथा मैं बोल रहा हूँ
मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ
आजादी का पथ खोल रहा हूँ।।

आजादी का पंथ सुनहरा
अवसादों में ना अब घोलो
अभिव्यक्ति की आजादी है
इसमें कोई विष ना घोलो।।
अभिव्यक्ति की राष्ट्र भावना
राष्ट्रवाद बन घोल रहा हूँ
मैं सन सत्तावन बोल रहा हूँ
आजादी का पथ खोल रहा हूँ।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        11अगस्त, 2021

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