प्रीत ने पंथ निखारा।

प्रीत ने पंथ निखारा।  

रात की मद्धम गति औ तेरा मुस्काना यहाँ
बादलों की ओट से ज्यूँ चाँद का आना यहाँ।।

तू मुस्कुरा दे फूल खिलते
बातों में जादू तेरे
जबसे देखा मैंने तुझको
दिल पर नहि काबू मेरे।

यूँ लगे ज्यूँ पुष्प पर भ्रमर का मँडराना यहाँ
बादलों की ओट से ज्यूँ चाँद का आना यहाँ।।

मचल रही अधरों पे तेरे
यूँ सूर्य की ये लालिमा
मदमस्त होकर चूमती हैं
कपोलों को ये बालियाँ।

यूँ लगे ज्यूँ भोर का अहसास मिल जाना यहाँ
बादलों की ओट से ज्यूँ चाँद का आना यहाँ।।

ये केश तेरे यूँ घनेरे
ज्यूँ मेघ के गुम्फे लगें
मैं देखूँ जब जब रुप तेरा
मृदु भाव, हिय प्रियतम जगे।

यूँ लगे ज्यूँ रूप की चादरों का छाना यहाँ
बादलों की ओट से ज्यूँ चाँद का आना यहाँ।।

सुंदरता की मूरत है तू
भावों में मधुरस धारा
जीवन में तेरे आने से
समृद्धि ने पंथ निखारा।

यूँ लगे ज्यूँ अंक में नभ का सिमट जाना यहाँ
बादलों की ओट से ज्यूँ चाँद का आना यहाँ।।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
       हैदराबाद
       18मार्च, 2021


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