आम की बालियाँ।
कुछ पेड़ लगाए आमों के
स्वप्न में देखा मधुर रसीले
उम्मीदों को आमों में।
खट्टा मीठा जीवन अपना
आम सरीखा लगता है
जबतक कच्चा, खट्टा है
पके तो मीठा लगता है।
बौर लगे पेड़ों पर देखो
ऋतु परिवर्तन बतलाती हैं
खेतों की ये पकी बालियाँ
तन मन को हर्षाती हैं।
बीत रहा मधुमास माह अब
किरणें भी ताप बढ़ाती हैं
खेतों खलिहानों में पग पग
उम्मीदें मुस्काती हैं।
लगन मुहूरत, नव संबंधों
का नूतन मौसम आया
उम्मीदों को पंख मिले हैं
कलियों का मन हरषाया।
मौसम के इन संकेतों ने
जीवन को आयाम दिया
पेड़ों पर खिलते आमों ने
इक नूतन अभियान दिया।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
20मार्च, 2021
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