देव दर्शन।

देव दर्शन।  

औरों ने बस पत्थर माना
मैंने देवों के दर्शन देखे
सबने ने बस रूप निहारा
मैंने भाव सुदर्शन देखे।।

नदिया, परबत, मेघ घनेरे
कल कल छल छल भाव सुनहरे
प्रकृति ने है रूप निखारा
सुघड़, सुभग भाव मनहरे।

कितना सुंदर दृश्य पटल पर
अंकित मन अनुरंजन देखे।
सबने ने बस रूप निहारा
मैंने भाव सुदर्शन देखे।।

किरण प्रभाती पुण्य भाव से
कण कण रूप सजाती है
हरित कांति से सजी धरा
देवों का रूप दिखाती है।

अवनी अंबर साथ चले हैं
पुलकित मन अभिनंदन देखे।
सबने ने बस रूप निहारा
मैंने भाव सुदर्शन देखे।।

शुद्ध चित्त औ शुद्ध भाव से
सहज सरल बन सकता जीवन
अंतस के पुष्पित भावों से
पुष्पाच्छादित तन मन उपवन।

शुद्ध चित्त औ पवित्र भाव ने
कितने ही परिवर्तन देखे।
सबने ने बस रूप निहारा
मैंने भाव सुदर्शन देखे।।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
       हैदराबाद
      17 मार्च, 2021




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