चाँद की आगोश में प्रीत की हल्की छुअन
कल्पनाओं के गगन में भर हृदय का सुमन
भाव को विस्तार दे शब्द में संचार भर
मैंने इक गीत लिखा, जीवन का संगीत लिखा।।
भोर के आकाश ने जिंदगी को साज दी
पंछियों की गूंज ने मौन को आवाज दी
नींद से जागी कली जब शाख मुस्कान लगी
रात का घूँघट हटा रश्मियाँ गाने लगीं
गीत को विस्तार दे भाव को श्रृंगार दे
मैंने इक गीत लिखा, जीवन का संगीत लिखा।।
चूड़ियों की खनक में राग नव रचने लगे
पायलों की छमक से पंथ सब सजने लगे
बिंदियों के तेज से रोशनी आने लगी
शब्द अधरों पर सजे गीतिका गाने लगी
रूप को संस्कार दे भक्ति को आकार दे
मैंने इक गीत लिखा, जीवन का संगीत लिखा।।
फूल की पाँखुरी से अंजुली भरने लगी
मंत्र का संचार पा जिंदगी खिलने लगी
कुनकुनी धूप में फिर वादियाँ गाने लगीं
राहों के संग संग जिंदगी चलने लगी
जिंदगी को प्यार दे शब्द को व्यवहार दे
मैंने इक गीत लिखा, जीवन का संगीत लिखा।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
05अक्टूबर, 2021
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