आओ ऐसे प्यार करें
पीर पुनः कहानी बनकर इन नयनों से बह न जाये,
गीत बनाकर हर पीड़ा को अधरों से मनुहार करें,
आओ ऐसे प्यार करें।
जो कुछ मुझमें बाकी है तुम पर सभी निछावर कर दूँ,
अपनी खुशियाँ देकर के पीर सभी तुम्हारे हर लूँ।
तुमको देखूँ तुमको समझूँ तुमपर ही सबकुछ वारूँ,
अपने जीत समर्पित कर दूँ तुमसे ही पग-पग हारूँ।
हार-जीत के उन्मादों में कोई कसर नहीं रह जाये,
कर के अपनी जीत समर्पित खुद पर हम उपकार करें,
आओ ऐसे प्यार करें।
केवल पृष्ठों में रहकर गीत हमारे रह ना जायें,
व्यर्थ यूँ ही अश्रुओं में घुल स्वप्न अपने बह न जायें।
चुप रह न जायें भावनाएँ मौन आहों में सिमटकर,
ना बीत जाये उम्र अपनी मौन यादों में लिपटकर।
गीत अपनी भावनाओं का अधूरा नहीं रह जाये,
हम छंद से इसको सजाकर जीवन का श्रृंगार करें,
आओ ऐसे प्यार करें।
तुम मेरा आकाश ले लो मैं धरा ले लूँ तुम्हारी,
मुक्त हो सब बंधनों से लेकर चलें अपनी सवारी।
ना फिक्र साँसों की रहे और न फिक्र आहों की रहे,
मिलकर कहें हम भाव सारे अब तक रहे जो अनकहे।
जो अनकहे थे भाव मन के अनकहे ही रह न जायें,
हम भावनाओं को सजाकर जीवन को उपहार करें,
आओ ऐसे प्यार करें।
✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
15 दिसंबर, 2024
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